मेरा सँघर्ष


संघर्ष हे जीवन मेहेनत करना पड़ेगा ज्यादा




कभी मुस्कान कभी छ्यन भर   की  ख़ुशी कभी  है  दुख यही है रित 





 दुनियां कि । 



ज्ञान की धारा पावन होती है नम्र और गुणी  बन्ना हरका सपना 



लाखों में है एक  मनाब जीबन, कवी लिया आसूँ  तो कवी बिश्राम ।   




नब निर्मित सिनेमा देखना चल्ना तो कभी कभी नए पुस्तक पड़ना ।
   


कभी अपनी ही मन  की कथा तो कभी प्रेम की  कथा 



कभी पुस्तक की भीतर की पात्र की कथा  अब तो लगने लगा है  येहि है 




अपना समय । 



कभी  वरिशों में गुम हो जाने की ये तन उभर रहा है जीवन ।




सुर्य , चन्द्रमा , बारिस ,जल, चर , पशुपंछी , बन भी  तो लड़ाई  करते 




हैं अपने अस्तित्व के लिये। 



सुर्य की  कीरने सुवह आती और शाम में निघल जाती है।



बारीश हरेक मनसून में होती है। 



गयल में  व्हैस सदैब दगुर्ने  कें  लिए तयार होती हैं।



खेत में पैनी के अशपाश हल  चलायें तो वो वि मान लेता हैं


फूल व्हि  सुभ धुप में अप्नी स्वरूप को उघार देती है। 



नदी की सदैब पानी हम्हारे गाँव में सदैब  बहेती है। 



क्या मानब जीबन की रीत भि  वोहि है  ?



लोजी लो सुनो संघर्स जरुरी हैं 



हम तो ठहेरे एक आम  बिद्यार्थी , हसना , पड़ना  और लिखना 




हम्हारा  काम  



लो सुनों यही हें हामरी बगावत ?

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